मन तो यही था ,
इस घडी को बांध लूं मैं ,
लम्हे को इस अब कैद करलूं मैं ,
देखता रहूँ तुझे एक टक मैं निहारकर ,
छू लू तुम्हे इस स्वप्न सी हकीकत को विश्वास में बदलकर ,
क्योंकि अब थक चूका हूँ तेरी यादों में जी -जी कर ,
मन तो खुस है इश्क़ की इतनी सी रह चलकर भी ,
इस घडी को बांध लूं मैं ,
लम्हे को इस अब कैद करलूं मैं ,
देखता रहूँ तुझे एक टक मैं निहारकर ,
छू लू तुम्हे इस स्वप्न सी हकीकत को विश्वास में बदलकर ,
क्योंकि अब थक चूका हूँ तेरी यादों में जी -जी कर ,
मन तो खुस है इश्क़ की इतनी सी रह चलकर भी ,
मन तो खुश होता है तेरी यादों में जलकर भी ,
गीता में तो मन को जीतने वाले को विश्वविजेता सा माना गया है ,
गीता में तो मन को जीतने वाले को विश्वविजेता सा माना गया है ,
पर मुझे विश्वविजेता नहीं बनना है ,
मुझे तो मोहब्बत की इसी मझधार में ही रहना है ,
क्योंकि शायद एक किनारे पे खुसी नहीं है ,
और दूसरे पे मैं खुश नहीं रह सकता । . ।
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