पूछता है जमाना क्यूँ ...
की करना चाहते हो क्या ?
बस ये बता दे तू कि
तेरी मंजिलें हैं क्या ?
बता दे की तू रोज मंजिलों में ,
इतनी टकटकी से देखता है क्या ?
मै कहता तब ज़माने से ,
मेरी मंजिलें है जो ,तुम छोड़ दो उनको ,
तुम न देख पाओगे , न तुम सोच पाओगे ,
वक़्त पर छोड़ दो इसको ,खुद ही तुम जान जाओगे ,
पूछता है ज़माना फिर की आखिर चाहते हो क्या ?
तो सुनो की मै चाहता हूँ क्या ...
मै चाहता बादलों को चीरना ,आसमां को भेदना ,
हवाओं पर भी मै अपना अधिकार ही चाहूँ ,
मन ही मन इस धरा पर राज राजता ,विजय रथ पर चढ़ा बैठा ,
लोक तीनो ही मै जीतना चाहता ,
दुनिया के हर छोर पर ही नाम अपना ही चाहता ,
फिर से पूछता है ये जमाना ,ज़रा फिर से बताना ???
क्या कहूँ अब मै ,बस यही है कहने को ,
तुम न देख पाओगे , न तुम सोच पाओगे ,
वक़्त पर छोड़ दो इसको ,खुद ही तुम जान जाओगे
की करना चाहते हो क्या ?
बस ये बता दे तू कि
तेरी मंजिलें हैं क्या ?
बता दे की तू रोज मंजिलों में ,
इतनी टकटकी से देखता है क्या ?
मै कहता तब ज़माने से ,
मेरी मंजिलें है जो ,तुम छोड़ दो उनको ,
तुम न देख पाओगे , न तुम सोच पाओगे ,
वक़्त पर छोड़ दो इसको ,खुद ही तुम जान जाओगे ,
पूछता है ज़माना फिर की आखिर चाहते हो क्या ?
तो सुनो की मै चाहता हूँ क्या ...
मै चाहता बादलों को चीरना ,आसमां को भेदना ,
हवाओं पर भी मै अपना अधिकार ही चाहूँ ,
मन ही मन इस धरा पर राज राजता ,विजय रथ पर चढ़ा बैठा ,
लोक तीनो ही मै जीतना चाहता ,
दुनिया के हर छोर पर ही नाम अपना ही चाहता ,
फिर से पूछता है ये जमाना ,ज़रा फिर से बताना ???
क्या कहूँ अब मै ,बस यही है कहने को ,
तुम न देख पाओगे , न तुम सोच पाओगे ,
वक़्त पर छोड़ दो इसको ,खुद ही तुम जान जाओगे
एक उम्र की दिली ख्वाहिश को बयाँ करती है यह कविता । a heart of a youth fully open before the world to read him n his wishes...
ReplyDeleteThankyou so much for your words !!!
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